Monday, 16 January 2017

एक रही।

06:44
न जाने किन राहों में चलते-चलते, खो गए हैं हम इन गुलशन तन्हाइयों के बीच, सपनें सो गए हैं अब।  दिलों की है ये दास्तान,  सब नसीब का है कारोबार  इन्ही गुमशुदा राहों में  ज़िन्दगी से आँखें हुई थीं चार।  झाँका था उस समय जब हमने दीवार के उस पार, दिखे कुछ बिखरे हुए...

Friday, 13 January 2017

जय जवान।

09:42
thank you.  सरहद पर  कभी ठंड में  कभी चिचिलाती धुप में  इस देश को छाँव करता है  मेरे देश का जवान कुछ ऐसा है।  खुद के त्यौहार कुर्बान करके  दुश्मन के अड्डे तबाह करके  वो सीमाओं की सुरक्षा करता है  मेरे देश का जवान कुछ ऐसा है।  बेख़बर...
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